एक पथ पर
चलो अच्छा ही हुआ
मैं अकेला चल पड़ा
लोगों का क्या है
सफ़र में
कुछ भी लाद देते
मेरी पीठ पर
अपना बोझ उतारने के लिए
और मैं उस बोझ तले
दब जाता
किसी के विचारों को लादना
अपनी पीठ पर
यह मेरे लिए तो संभव नहीं था
इसीलिए
मैं चल रहा हूं
अपने विचारों के साथ
एक नवीन ऊर्जा के साथ
एक पथ पर
अकेला ही.....
हेमंत कुमार"अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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