Thursday, 17 April 2025

एक पथ पर


एक पथ पर

चलो अच्छा ही हुआ
मैं अकेला चल पड़ा
लोगों का क्या है
सफ़र में
कुछ भी लाद देते
मेरी पीठ पर
अपना बोझ उतारने के लिए
और मैं उस बोझ तले
दब जाता
किसी के विचारों को लादना
अपनी पीठ पर
यह मेरे लिए तो संभव नहीं था
इसीलिए 
मैं चल रहा हूं
अपने विचारों के साथ
एक नवीन ऊर्जा के साथ
एक पथ पर
अकेला ही.....

हेमंत कुमार"अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़ 

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