Saturday, 19 April 2025

पुन:

जिस घर में
मां की हाथों से
मिट्टी का लेप चढ़ा हो
जिस घर में 
मां की हाथों से
गोबर का रंग चढ़ा हो
जिस घर का
बाबूजी नींव हुए हों
उस घर का
हर एक कोना
स्वर्ग से भी
सुन्दर होता है
उस घर में
रहना
प्रेम और संस्कारों 
के बीच रहना है
जहां 
त्याग है
तपस्या है
जीवन है
ऐसा जीवन
जिसे पुन:
पाने के लिए
बार बार
मरने का मन होता है.....

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़ 









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