मैं बार-बार आऊंगा
बार-बार मरने के लिए....
मुझे मरना अच्छा लगता है
अपने देश के लिए.....
देश किसी के लिए
रहने का जगह होगा
देश मेरे लिए
तपस्या की जगह है
त्याग का जगह है
इसी लिए मैं
बार बार आउंगा
बार बार तपूंगा
बार बार खपूंगा
मेरी मां कहती है
तू तपता है
तू खपता है तो
देश जी उठता है....
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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