Thursday, 19 June 2025

जन-गण मन


भारत में बहता हुआ समीर
केवल समीर नहीं है
इस समीर में
अनंत सभ्यताओं का
अनंत संस्कृतियों की
आभा पुंज है
वसुधैव कुटुंबकम् का
संकल्प है
यह आदर्श है 
विभिन्नताओं में
समानता का
यह समीर
भारत में
बहने वाला
प्राण पुंज है
और जब यह 
प्राण पुंज
असंख्य भारतीयों के
रगों में घुलता है
तो रग -रग
प्राणमय हो जाता है
फिर यही प्राण
हिमालय की वृहद छोर से
कन्याकुमारी तक
गुजरात से पश्चिम बंगाल तक
असंख्य रुधिर कोशिकाओं में अनवरत
बहता रहता है
एक एक भारतीय में
ऊर्जा और ज्ञान का संचरण करता है
और एक-एक भारतीय 
रविन्द्र के गीतों में बंध जाता है
जन गण मन की तरह....

हेमंत कुमार 'अगम'
भाटापारा छत्तीसगढ़ 




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