काले काले प्यारे बादल।
सबके राज दुलारे बादल।।
जल्दी गड़ गड़ करते आओ।
धरती की तुम प्यास बुझाओ।।
सूरज की किरणें तपतीं हैं।
सड़कें धू-धू कर जलतीं हैं।।
पीले पत्ते पके पके से।
पेड़ लगे हैं थके थके से।।
नदी ताल सब सूखे सूखे।
प्यासे प्यासे भूखे भूखे।।
बेचारी चिड़ियाँ हैं प्यासी।
छाईं हैं सब तरफ उदासी।।
चौपाया अब काँपे थरथर ।
छायाँ कहाँ रही अब सरपर।।
बाहर जाओ लू का खतरा।
घर पर है दादा का पहरा।।
हम बच्चों की आफत आई।
घर से निकलें कूटे माई।।
बालकविता
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा(नवागाँव)
छत्तीसगढ़
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